ए गिरे परे हपटे मन
अउ डरे थके मनखे मन,
मोर संग चलव रे
अमरइय्या कस जूड छांव मंय
मोर संग बइठ जुडा लव
पानी पी लव मंय सागर अंव
दुख पीरा बिसरा लव
नवा जोत लव नवा गांव बर
रददा नवा गढ़व रे।
मंय लहरी अंव मोर लहर मां
फरव फुलव हरियावव
महानदी मंय अरपा पैरी
तन मन धो फरिया लव
कहां जाहू बड़ दूर हे गंगा
मया के पाठ पढ़व रे। (पापी इंहे तरव रे)
बिपत संग जूझे बर भाई
मंय बाना बांधे हंव
सरग ल पिरथी मां ला देहूं
प्रन अइसन ठाने हंव
मोर सुमत के सरग निसइनी
जुरमिल सबो चढ़व रे।
गीत – लक्ष्मण मस्तुरिया
संगीत – खुमान साव
लोक मंच – चंदैनी गोंदा